prmukh guru-shishy हिंदी साहित्य में गुरु-शिष्य परम्परा | prukh guru-shishy हिंदी साहित्य में गुरु-शिष्य परम्परा | prmuh guru-shishy हिंदी साहित्य में गुरु-शिष्य परम्परा | prmukh guru-shishy |prmukh guru-shihy हिंदी साहित्य में गुरु-शिष्य परम्परा
गुरु-शिष्य परम्परा के अन्तर्गत गुरु (शिक्षक) अपने शिष्य को शिक्षा देता है या कोई विद्या सिखाता है। बाद में वही शिष्य गुरु के रूप में दूसरों को शिक्षा देता है। यही क्रम चलता जाता है। यह परम्परा सनातन धर्म की सभी धाराओं में मिलती है। गुरु-शिष्य की यह परम्परा ज्ञान के किसी भी क्षेत्र में हो सकती है, जैसे- अध्यात्म, संगीत, कला, वेदाध्ययन, वास्तु आदि। भारतीय संस्कृति में गुरु का बहुत महत्व है। कहीं गुरु को ‘ब्रह्मा-विष्णु-महेश’ कहा गया है तो कहीं ‘गोविन्द’।
prmukh guru-shishy हिंदी साहित्य में गुरु-शिष्य परम्परा
हिंदी साहित्य में प्रमुख गुरु–शिष्य की सूची
गुरु | शिष्य |
शबरपा | लुईपा |
गोविन्द स्वामी | शंकराचार्य |
मत्स्येंद्रनाथ/मछंदर नाथ | गोरखनाथ |
कांचीपूर्ण | रामानुजाचार्य |
नारद मुनि | निम्बार्कचार्य |
राघवानंद | रामानंद |
रामानंद | अनंतानंद, सुरानंद, सुर सुरानंद, सेना, नरहयानंद, भवानंद, पीपा, कबीर, धन्ना, रैदास, पद्मावती, सुरसरी (12 शिष्य) |
शेख तकी | कबीर (मुसलमानों के अनुसार) |
शेख मोहिदी (मुहीउद्दीन) | जायसी |
शेख बुरहान | कुतुबन |
हाजीबाबा | उसमान |
विष्णु स्वामी | वल्लभाचार्य |
वल्लभाचार्य | कुंभनदास, सूरदास, कृष्णदास, परमानंददास |
गोस्वामी बिट्ठलनाथ | गोविन्दस्वामी, छीतस्वामी, नंददास, चतुर्भुजदास |
रैदास | मीराबाई |
दादू | रज्जब, सुंदरदास, प्रागदास, जगजीवन, जनगोपाल |
बाबा नरहरिदास | तुलसीदास |
अग्रदास | नाभादास |
नरहरिदास | बिहारी |
राजा शिवप्रसाद ‘सितारेहिन्द’ | भारतेंदु हरिश्न्द्र |
महावीर प्रसाद द्विवेदी | मैथली शरण गुप्त, प्रेमचंद और ‘निराला’ |