Indus Valey Civilization in Hindi – सिंधु घाटी सभ्यता | Indus Valey Civilization in Hindi – सिंधु घाटी सभ्यता | Indus Valley Civilization in Hindi | Indus Valley Civilization Hindi – सिंधु घाटी सभ्यता | Indus Valley Civilization – सिंधु घाटी सभ्यता | Indus Valley Civiization in Hindi – सिंधु घाटी सभ्यता | Indus Valley Civization in Hindi – सिंधु घाटी सभ्यता |
Indus Civilization Period: भारत और पाकिस्तान में पाया गया सिंधु घाटी सभ्यता जिसे हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है, अब तक ज्ञात सभी सभ्यताओं में सबसे प्राचीन है। इसकी खोज 1921 में हुई। इसका विकास सिंधु और घघ्घर/हकड़ा के किनारे हुआ। हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा और राखीगढ़ी इसके प्रमुख केन्द्र थे |
Indus Valley Civilization in Hindi – सिंधु घाटी सभ्यता
हड़प्पा संस्कृति की भौगोलिक सीमा एवं प्रसार
No.-1. सर्वप्रथम उत्खनन से सिन्धुघाटी सभ्यता के दो स्थल प्रकाश में आए –
No.-2. हड़प्पा
No.-3. हड़प्पा (आधुनिक स्थल पाकिस्तान के पश्चिमी पंजाब प्रान्त में मुलतान जिला) सिन्धु घाटी सभ्यता का प्रथम स्थल है।
No.-4. इसकी खोज सन् 1921 में दयाराम साहनी ने की।
No.-5. मोहनजोदड़ो
No.-6. मोहनजोदड़ो या मृतकों का टीला (आधुनिक स्थल लरकाना जिला, सिन्ध पाकिस्तान) सिन्ध नदी के तट पर सन् 1922 में मोहनजोदड़ो सिन्धु सभ्यता के दूसरे स्थल के रूप में आर. टी. बनर्जी (राखालदास बनर्जी) ने खोजा।
No.-7. हड़प्पा से प्राप्त अवशेष
No.-8. एक लिपिबद्ध मुहर सन् 1875 ई. में सर अलेक्जेण्डर कनिंघम के उत्खनन से प्राप्त हुई।
No.-9. मोहनजोदड़ो से प्राप्त अवशेष
No.-1. गढ़ी हुई पक्की ईंटों से बना एक बुर्ज
No.-2. एक विशाल स्नानागार (लम्बाई 12 मी. x चौड़ाई 7 मी. x गहराई 2.5 मी.)
No.-3. एक अन्नागार (गोदीबाड़ा) 45-75 मी. लम्बा x 15-24 मी. चौड़ा)
No.-4. गाड़ी और घोड़ा के टेराकोटा नमूने
No.-5. दाड़ी युक्त पुरुष की चूने के पत्थर से बनी मूर्ति
No.-6. एक कृत्रिम धरातल से अश्व का साक्ष्य
No.-10. उपर्युक्त अवशेष मोहनजोदड़ो में सिन्धुनदी के पूर्वी किनारे पर हड़प्पा स्थल से 483 किलोमीटर की दूरी पर पाकिस्तान के वर्तमान लरकाना जिले में पाये गये सिन्धी भाषा में मोहनजोदड़ो को ‘मृतकों का टीला’ कहा जाता है।
No.-11. सम्भवतः खण्डहरों के प्राप्त होने के कारण ही इसे मृतकों का टीला (Mound of the Deads) कहा जाता है।
Indus Valley Civilization in Hindi
No.-12. सिन्धुघाटी सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता का विस्तार त्रिभुजाकार में उत्तर से दक्षिण लगभग 1100 कि.मी. एवं पश्चिम से पूर्व 1600 किमी तक था।
No.-13. इस सभ्यता का विस्तार उत्तर से दक्षिण में 1100 किलोमीटर जम्मू से नर्मदा नदी तक एवं पश्चिम से पूर्व में 1600 किमी बलूचिस्तान के मकरान समुद्र तट से उत्तर पूर्व में मेरठ या सहारनपुर तक फैला हुआ था।
हड़प्पा
No.-1. सिन्धु सभ्यता के अवशेष सबसे पहले ‘हड़प्पा’ में प्राप्त हुए, सन् 1875 ई. में सर कनिंघम को इस सभ्यता का ज्ञान उत्खनन से प्राप्त हुआ एवं उन्हें इस दौरान एक अज्ञात लिपिबद्ध मुहर प्राप्त हुई।
No.-2. सिन्धु सभ्यता का यह ‘हड़प्पा’ नामक स्थल रावी नदी से हड़प्पा में पूर्ण साम्यता है।
No.-3. हड़प्पा पर तैयार की गई सर अलेक्जेण्डर कनिंघम की रिपोर्ट के अनुसार ‘हड़प्पा’ के खण्डहर एवं टीले निम्नवत् वर्गीकत थे।
हड़प्पा से अन्य प्राप्त अवशेष
No.-1. हड़प्या में दुर्ग प्रमुख अवशेष के रूप में पाया गया है।
No.-2. हड़प्पा के दुर्ग में छह कोठार प्राप्त हुए हैं जो इंटों के बने चबूतरों पर दो पंक्तियों में बने हुए हैं।
No.-3. हड़प्पा में प्राप्त इन दुर्ग कोठारों में प्रत्येक की लम्बाई 15-23 मी. एवं चौड़ाई 6-09 मी है।
No.-4. दो कमरों वाले बैरक भी हड़प्पावशेष के रूप में प्राप्त हुए हैं।
No.-5. फर्श की दरारों में गेहूँ एवं जौ के दाने प्राप्त हुए हैं।
No.-6. लाल कोटा पत्थर की नग्न पुरुष की प्रतिमा एवं कोटा पत्थर से बनी नृत्य की मुद्रा में एक पुरुष की प्रतिमा प्राप्त हुई है।
No.-7. मोहनजोदड़ो यहाँ पर प्राप्त खण्डहर अवशेषों के कारण ‘मोहनजोदड़ो’ के नाम से इस स्थल को जाना गया।
No.-8. मोहनजोदड़ो हड़प्पा संस्कृति का सबसे प्रमुख है।
No.-9. यह स्थल सिन्धु नदी के पूर्वी किनारे पर ‘हड़प्पा स्थल से 483 किमी दूर पाकिस्तान के लरकाना (सिन्ध) जिले में अवस्थित है।
No.-10. यह स्थल ढाई वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ था।
No.-11. सन् 1922 ई. में राखालदास बनर्जी ने एवं 1946 में डॉक्टर हीलर ने मोहनजोदड़ो में उत्खनन कर ऐतिहासिक स्थल के अवशेषों को प्रकाशित किया।
No.-12. मोहनजोदड़ो के खण्डहर में कई टीले अवशेष के रूप में प्राप्त हुए जिनमें मोहनजोदड़ो का सबसे ऊँचा टीला ‘स्तूप टीला’ है।
Indus Valley Civiization in Hindi – सिंधु घाटी सभ्यता
मोहनजोदड़ो में उत्खनन से प्राप्त अवशेष
मोहनजोदड़ो के खण्डहर के टीलों से निम्नलिखित अवशेष प्राप्त हुए हैं-
No.-1. पक्की ईंटों से बना एक बुर्ज
No.-2. भवनों के अवशेष
No.-3. एक विशाल स्नानागार (40 फीट लम्बाई x 23 फीट चौड़ाई x 8 फीट गहराई)
No.-4. एक विशाल अन्नागार (45-72 मी. लम्बाई x 15-23 मी चौड़ाई)
No.-5. कृत्रिम धरातल से एक घोड़े का अवशेष
No.-6. मेसोपोटामिया में अवशेष के रूप में प्राप्त हुए मुहर के सदृश सिलेण्डर की आकृति की मुहर
No.-7. नाव की आकृति
No.-8. बुने हुए वस्त्र का एक टुकड़ा (सूती कपड़ा)
No.-9. गाड़ी और घोड़ा के टेराकोटा नमूने
No.-10. दूधिया पत्थर से बनी एक दाढ़ी वाले पुरुष की मूर्ति
No.-11. नृत्य की मुद्रा में काँसे से बनी बालिका
No.-12. मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार का जलाशय दुर्ग के टीले में अवस्थित है, जिसके पास कमरे बने हुए हैं।
No.-13. स्नानागार के पास के कमरे में एक बड़ा कुआँ पाया गया. जिसका फर्श पक्की ईंटों का बना हुआ था।
No.-14. मोहनजोदड़ो की नगरीय सभ्यता के पर्याप्त साक्ष्य वहाँ की नालियाँ, सड़कें एवं व्यवस्थित मकानों की संरचना में व्याप्त है।
No.-15. विभिन्न लेखकों के अनुसार मोहनजोदड़ो की जनसंख्या 35,000 से 1,00,000 तक आँकी गई है।
Indus Valey Civilization in Hindi – सिंधु घाटी सभ्यता
चन्हुदाड़ो
No.-1. सिन्धु सभ्यता का यह स्थल मोहनजोदड़ो से दक्षिण पूर्व में लगभग 130 किलोमीटर की दूरी पर सिन्धु नदी के किनारे वर्तमान पाकिस्तान में स्थित है ।
No.-2. चन्हुदाड़ो के खण्डहर में तीन टीले खोजे गए हैं ।
No.-3. यहाँ पर सिन्धु संस्कृति के साथ-साथ झूकर एवं झांगर हुए के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं ।
No.-4. सिन्धु सभ्यता के स्थलों में एकमात्र दुर्गरहित स्थल चन्हुदाड़ो था ।
No.-5. यहाँ पर प्राप्त हुए अवशेष हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुए अवशेषों के समान ही थे ।
No.-6. भवन एवं बरतनों के अवशेषों के आधार पर यहाँ छोटी वस्ती या ग्राम होने के साक्ष्य मिलते हैं ।
No.-7. चन्हुदाड़ो में उत्खनन से प्राप्त अवशेष चन्हुदाड़ो के अवशेषों में निम्नलिखित हैं-
1.रंगीन चित्रों से युक्त वरतनों के टुकड़े
- पत्थर के मटके
- मुद्राएँ
4.शंख और हाथी दाँत की वस्तुएँ
- आभूषण एवं मनके बनाने का कारखाना
- पकाई गई ईंटों के भवन
- दवात जैसा छोटा पात्र
8.लोहे की वस्तुओं के निर्माण के लिए शिल्प केन्द्र
कोटदीजी
No.-1. सिन्धु सभ्यता का ‘कोटदीजी’ नामक स्थल सिन्ध में खैरपुर से दक्षिण की ओर मोहनजोदड़ो से 40 किमी दूर अवस्थित है।
No.-2. यहाँ पर प्राप्त हुए अवशेष हड़प्पा संस्कृति के अवशेषों से साम्यता रखते हैं।
No.-3. कोटदीजी नामक सिन्धु सभ्यता के इस स्थल में ऐसे अनेक अवशेष पाए गए हैं जिन्हें अन्यत्र नहीं खोजा गया।
No.-4. कोटदीजी में उत्खनन से प्राप्त अवशेष
Indus Valley Civilization Hindi – सिंधु घाटी सभ्यता
सुत्कगेनडोर
No.-1. सिन्धुघाटी सभ्यता का यह स्थल पाकिस्तान में कराची से लगभग 480 किमी पश्चिम एवं मकरान समुद्र तट से 56 किमी उत्तर में दाश्त नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित है ।
No.-2. उत्खनन के दौरान यहाँ पर दुर्लभ अवशेषों की खोज की गई ।
No.-3. ‘जॉर्ज डेल्स’ नामक विद्वान् ने यहाँ पर सिन्धु सभ्यता के तीन चरणों की खोज की थी ।
No.-4. सुत्कगेनडोर में व्यावसायिक स्थल होने के पर्याप्त साक्ष्य मिलते हैं ।
No.-5. जॉर्ज डेल्स के अनुसार-“यह स्थल बन्दरगाह के रूप में सिन्धु सभ्यता एवं बेबीलोन के बीच सामुद्रिक व्यापार का प्रमुख केन्द्र था।
No.-6. सुत्कगेनडोर में अवशेष के रूप में एक बन्दरगाह एक दुर्ग एवं नगरीय सभ्यता के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं ।
No.-7. डाबरकोट सिन्धुघाटी सभ्यता का ‘डावरकोट’ नामक स्थल कांधार व्यापारिक मार्ग पर सिन्धु नदी से लगभग 200 किमी दूर लोरालाई के दक्षिण में ‘झोव’ नामक घाटी में खोजा गया।
No.-8. डाबरकोट’ नामक सिन्धु सभ्यता के इस स्थल में नगर योजना के स्पष्ट प्रमाण प्राप्त हुए हैं।
No.-9. डाबरकोट में प्राकहड़प्पा-संस्कृति, हड़प्पा-संस्कृति एवं हड़प्पोत्तरकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
No.-10. तीनों सभ्यताओं के अवशेष प्राप्त होने के कारण इसका सर्वाधिक महत्त्व है।