Hindi Sahity ke Pramukh Reportaj Sahity | Hindi Sahity Pramukh Reportaj Sahity | Hindi Pramukh Reportaj Sahity | Hindi ke Pramukh Reportaj Sahity | Hindi Sahity ke Pramukh Sahity | Hindi Sahity ke Pramukh Reportaj | Hindi Shity ke Pramukh Reportaj Sahity |
रिपोर्ताज गद्य-लेखन की एक विधा है। रिपोर्ताज फ्रांसीसी भाषा का शब्द है। रिपोर्ट अंग्रेजी भाषा का शब्द है। रिपोर्ट किसी घटना के यथातथ्य वर्णन को कहते हैं। रिपोर्ट सामान्य रूप से समाचारपत्र के लिये लिखी जाती है और उसमें साहित्यिकता नहीं होती है। रिपोर्ट के कलात्मक तथा साहित्यिक रूप को रिपोर्ताज कहते हैं। वास्तव में रेखाचित्र की शैली में प्रभावोत्पादक ढंग से लिखे जाने में ही रिपोर्ताज की सार्थकता है। आँखों देखी और कानों सुनी घटनाओं पर भी रिपोर्ताज लिखा जा सकता है। कल्पना के आधार पर रिपोर्ताज
Hindi Sahity ke Pramukh Reportaj Sahity
हिंदी के प्रमुख रिपोर्ताज और उसके लेखक निम्नलिखित हैं-
क्रम | लेखक | रिपोर्ताज |
1. | शिवदान सिंह चौहान | लक्ष्मीपुरा (1938), मौत के खिलाफ जिंदगी की लड़ाई |
2. | रांगेय राघव | तूफानों के बीच (1946) |
3. | प्रकाश चन्द्र गुप्त | स्वराज भवन, अल्मोड़ा का बाज़ार, बंगाल का अकाल, रेखाचित्र |
4. | भदंत आनंद कौसल्यायन | देश की मिट्टी बुलाती है |
5. | उपेन्द्र नाथ अश्क | पहाड़ों में प्रेममय संगीत, रेखाएँ और चित्र |
6. | शमशेर बहादुर सिंह | प्लाट का मोर्चा (1952) |
7. | कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ | क्षण बोले कण मुस्काए (1953) |
8. | श्रीकांत वर्मा | अपोलो का रथ |
9. | लक्ष्मीचंद्र जैन | कागज की कश्तियां, नये रंग नए ढंग |
10. | शिवसागर मिश्र | वे लड़ेंगे हजारों साल (1966) |
11. | धर्मवीर भारती | युद्ध यात्रा (1972) |
12. | अज्ञेय | देश की मिट्टी बुलाती है |
13. | फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ | ऋण जल धन जल (1977), नेपाली क्रांति कथा (1978), श्रुत-अश्रुत पूर्व (1984), एकलव्य के नोट्स |
14. | विवेकी राय | जुलूस रुका है (1977), बाढ़! बाढ़!! बाढ़!!! |
15. | भागवत शरण उपाध्याय | खून के छीटें |
16. | राम कुमार वर्मा | पेरिस के नोट्स |
17. | निर्मल वर्मा | प्राग: एक स्वप्न |
18. | कमलेश्वर | क्रांति करते हुए आदमी को देखना |
19. | श्री कान्त वर्मा | मुक्ति फौज |
20. | यशपाल जैन | रूस में छियालीस दिन |
21. | मणि मधुकर | पिछला पहाड़, सूखे सरोवर का भूगोल |
22. | रामनारायण उपाध्याय | गरीब और अमीर पुस्तकें |
23. | विद्यानिधि सिद्वांतालंकार | शिवालिक की घाटियों में |
24. | मुनि कांतिसागर | खंडहरों का वैभव |
रिपोर्ताज संबंधित प्रमुख प्रश्न
NO.-1. रिपोर्ताज किस भाषा का शब्द है?
Ans. रिपोर्ताज फ्रांसीसी भाषा का शब्द है।
NO.-2. रिपोर्ट और रिपोर्ताज में क्या अंतर है?
Ans. वास्तविक घटना ज्यों का त्यों प्रस्तुत कर देना ‘रिपोर्ट’ है जिसे हिंदी में ‘रपट लिखना’ कहते हैं। जबकि वास्तविक घटना को अपनी भावना में रंग कर बिंबधर्मी भाषा के माध्यम से सजीव बनाकर प्रस्तुत करना रिपोर्ताज कहलाता है।
NO.-3. रिपोर्ताज किसे कहते है?
Ans. हाल-ताज में घटी तथा लेखक के द्वारा प्रत्यक्ष देखी गई घटना का अंतरंग अनुभव के साथ किया गया वर्णन रिपोर्ताज है। रेखाचित्र, संस्मरण, जीवनी तथा आत्मकथा के समान इसका विषय भी यथार्थ हुआ करता है।
NO.-4. हिंदी का प्रथम रिपोतार्ज कौन-सा है?
Ans. हिंदी का प्रथम रिपोतार्ज शिवदान सिंह चौहान का ‘लक्ष्मीपुरा’ है जो 1938 ई. में प्रकाशित हुआ था।
NO.-5. ‘ऋणजल धनजल’ रिपोर्ताज के लेखक हैं:
Ans. ‘ऋणजल धनजल’ रिपोर्ताज के लेखक फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ हैं।
NO.-6. रिपोर्ताज के उदाहरण-
Ans. लक्ष्मीपुरा (शिवदान सिंह चौहान), तूफानों के बीच (रांगेय राघव), प्लाट का मोर्चा (शमशेर बहादुर सिंह), युद्ध यात्रा (धर्मवीर भारती), नेपाली क्रांति कथा (फणीश्वरनाथ ‘रेणु’), जुलूस रुका है (विवेकी राय) आदि।
No.-1. भारतीय तथा पाश्चात्य काव्यशास्त्र- डॉ. सत्यदेव चौधरी, पृष्ठ- 542
No.-2. हिंदी का गद्य साहित्य- रामचंद्र तिवारी, पृष्ठ- 569
No.-3. हिंदी आलोचना की पारिभाषिक शब्दावली- डॉ. अमरनाथ, पृष्ठ- 303
No.-4. साहित्यशास्त्र-परिचय- राधावल्लभ त्रिपाठी, पृष्ठ- 29
No.-5. हिंदी में रेखाचित्र और रिपोर्ताज- डॉ. विश्वम्भरनाथ उपाध्याय, आलोचना पत्रिका, अप्रैल- 1966
No.-6. वही
No.-7. कथा विवेचना और गद्य शिल्प- रामविलास शर्मा, पृष्ठ- 146
No.-8. हिंदी आलोचना की पारिभाषिक शब्दावली- डॉ. अमरनाथ, पृष्ठ- 303
No.-9. हिंदी आलोचना की पारिभाषिक शब्दावली- डॉ. अमरनाथ, पृष्ठ- 304