Hindi ke pramukh vad aur aandolan | Hindi pramukh vad aur aandolan | Hindi ke vad aur aandolan | Hindi ke pramukh vad | Hindi ke pramukh aandolan | Hindi ke vad aur aandolan | Hindi ke prmukh vad aur aandolan |
देश में कई अलगाववादी आंदोलन मौजूद हैं, जिनके हजारों सदस्य हैं- हालांकि, ये स्थानीय लोगों का समर्थन सीमित है, और वे लोकतांत्रिक चुनावों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। पंजाब में खालिस्तान आंदोलन 1980 और 1990 के दशक में सक्रिय था, लेकिन अब यह भारत के भीतर काफी हद तक दब गया है। पूर्वोत्तर भारत में त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, असम और नागालैंड में उग्रवाद रहा है।
Hindi ke pramukh vad aur aandolan
हिंदी साहित्य के प्रमुख vad और aandolan के प्रवर्तक निम्नलिखित हैं-
प्रमुख वाद/आंदोलन | प्रवर्तक |
रीतिवाद | केशवदास(शुक्ल के अनुसार चिंतामणि) |
स्वच्छंदतावाद | श्रीधर पाठक |
छायावाद | जयशंकर प्रसाद |
हालावाद | हरिवंश राय ‘बच्चन’ |
प्रयोगवाद | अज्ञेय |
प्रपद्यवाद या नकेनवाद | नलिन विलोचन शर्मा, केसरी कुमार, नरेश |
मांसलवाद | रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’ |
अकविता | श्याम परमार |
अस्वीकृत कविता | श्री राम शुक्ल |
बीट जैनरेशन (बीट पीढ़ी) | राजकमल चौधरी |
युयुत्सावादी कविता | श्री राम सिंह |
नव प्रगतिशील | नवल किशोर |
आज की कविता | हरीश मदानी |
वाम /प्रतिबद्ध कविता | परमानंद श्रीवास्तव |
सनातन सुर्योदयी | वीरेंद्र कुमार जैन |
सहज कविता | रविन्द्र भ्रमर |
साम्प्रदायिक कविता | श्याम नारायण |
ताजी कविता | लक्ष्मी कांत वर्मा |
टटकी कविता | राम वचन राय |
समकालीन कविता | विश्वम्भर नाथ उपाध्याय |
कैप्सूल/सूत्र कविता | ओंकार नाथ त्रिपाठी |
नवगीत | अज्ञेय |