Hindi acharyo ki ras vishyak drishti

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Hindi acharyo ki ras vishyak drishti

हिन्दी के रीतिकालीन आचार्यों की रस-दृष्टि संस्कृत आचार्यों द्वारा निर्दिष्ट रस-सिद्धान्त पर ही आधारित है। वे अभिनव गुप्त, मम्मट, विश्वनाथ आदि आचार्यों से विशेष रूप से प्रभावित है। इनके यहाँ कोई मौलिक चिंतन नहीं दिखाई देता।

No-.1.  ‘हृदयकीअनुभूतिहीसाहित्यमेंरसऔरभावकहलातीहै।

No-.2. ‘जिसप्रकारआत्माकीमुक्तावस्थाज्ञानकहलातीहै, उसीप्रकारहृदयकीमुक्तावस्थारसदशाकहलातीहै।

No-.3 ‘लोकहृदयमेंहृदयकेलीनहोनेकीदशाकानामरसदशाहै।’

No-.4. ‘हृदयकेप्रभावितहोनेकानामहीरसानुभूतिहै।’

No-.5.शुक्लजीरसानुभूतिकोलौकिकमानतेहैं।

No-.6.शुक्लजीनेरसकोकाव्यकीआत्मामानाहै।

No-.7.आचार्यशुक्लनेविरोधऔरअविरोधकेआधारपरसंचारियोंकेचारवर्गकिएहैं- सुखात्मक, दुखातमक, उभयात्मकऔरउदासीन

No-.8.श्यामसुन्दरदासने ‘साहित्यलोचन’तथा ‘रूपक-रहस्य’मेंरस-सिद्धान्तकाविवेचनकियाहै।उनकीप्रमुखस्थापनाएंनिम्नहैं-

No-.9.वेरसकीअभिव्यक्तिकोभावोंसेमानतेहैं।

No-.10. ‘इन्हींभावोंकेउद्दीप्तऔरउद्बुद्वहोनेपररसकीनिष्पत्तिहोतीहै।’

No-.11. ‘रसकामूलआधारस्थायीभावहैंऔरविभाव, अनुभावऔरसंचारीभाव, स्थायीभावकोरसकीअवस्थातकपहुचानेमेंसहायकहैं।’

No-.12.गुलाबरायने ‘सिद्वांतऔरअध्यन’मेंकाव्यकामुख्यउद्देश्यआनंदकोमानाहैं।गुलाबजीकीदृष्टिमेंरसआनंदरूपहै, इसीलिएवेभी ‘काव्यकीआत्मा’रसकोमानतेहैं।

No-.14.भारतीयकाव्यशास्त्रकेप्रमुखआचार्यएवंउनकेग्रंथकालक्रमानुसार

No-.15.रससिद्धांत | भरतमुनिकारससूत्रऔरउसकेप्रमुखव्याख्याकार

No-.16.मूलरस | सुखात्मकऔरदुखात्मकरस | विरोधीरस

No-.17.रसकास्वरूपऔरप्रमुखअंग

No-.18.साधारणीकरण

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लिंक

No-.1.नंदुलारेवाजपेयीकेअनुसार “काव्यतोप्रकृतमानवअनुभूतियोंका, नैसर्गिककल्पनाकेसहारे, ऐसासौन्दर्यमयचित्रणहै, जोमनुष्यमात्रमेंस्वभावत: अनुरूपभावोच्छवास्औरसौन्दर्य-संवेदनउत्पन्नकरताहै।इसीसौन्दर्य-संवेदनकोभारतीयपरिभाषिकशब्दावलीमेंरसकहतेहैं।”

No-.2.लक्ष्मीनारायणसुधांशुने ‘काव्यमेंअभिव्यंजनावाद’मेंकाव्यानुभूतिकीस्थितिकलाकारमेंऔररसानुभूतिकीस्थितिश्रोतामेंमानाहै।

No-.3.नगेन्द्रकेअनुसार “साहित्यकाचरममानरसहीहै”

No-.4.आधुनिककालमेंरसविवेचनसंबंधीप्रमुखग्रंथ

No-.5.लेखक       ग्रंथ

No-.6.कन्हैयालालपोद्दार  रसमंजरी

No-.7.गुलाबराय नवरस

No-.8.रामदहिनमिश्र        काव्यदर्पण

No-.9.राममूर्तित्रिपाठी      रस-विमर्श

No-.10.रामचंद्रशुक्ल         रस-मीमांसा

No-.11.नगेन्द्र     रस-सिद्धांत

No-.12.आधुनिककालकेरसविवेचनसंबंधीग्रंथ

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