Gandak Pariyojana | Gandk Pariyojana | Gandak Pariyojan | Gandk Pariyojana | Gadak Pariyojan | Ganak Pariojana | Gandak Pariyojana | Gandak Pariyojna | Gandk Pariyojana |Gandak Pariyana | Gandak Pariyoja | Gdak Pariyojana | Gandak Parojana |
नदियों की घाटियो पर बडे-बडे बाँध बनाकर ऊर्जा, सिंचाई, पर्यटन स्थलों की सुविधाएं प्राप्त की जातीं हैं। इसीलिए इन्हें बहूद्देशीय नदी घाटी परियोजना कहते हैं। नदी घाटी योजना का प्राथमिक उद्देश्य होता है किसी नदीघाटी के अंतर्गत जल और थल का मानवहितार्थ पूर्ण उपयोग। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने बहु-उद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं को ‘आधुनिक भारत का मंदिर कहा था |
Gandak Pariyojana
No.-1. नदियों की घाटियो पर बडे-बडे बाँध बनाकर ऊर्जा, सिंचाई, पर्यटन स्थलों की सुविधाएं प्राप्त की जातीं हैं। इसीलिए इन्हें बहूद्देशीय नदी घाटी परियोजना कहते हैं।
No.-2. नदी घाटी योजना का प्राथमिक उद्देश्य होता है किसी नदीघाटी के अंतर्गत जल और थल का मानवहितार्थ पूर्ण उपयोग। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने बहु-उद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं को ‘आधुनिक भारत का मंदिर’ कहा था
No.-3. विवरण गण्डक परियोजना भारत की नदी घाटी परियोजनाओं में से एक है।
No.-4. इसकी शुरुआत सन 1961 में हुई थी। यह बिहार और उत्तर प्रदेश की सम्मिलित परियोजना है
No.-5. स्थान बिहार और उत्तर प्रदेश
No.-6. उद्देश्य दामोदर नदी पर बाढ़ का नियंत्रण, सिंचाई, विद्युत-उत्पादन, पारेषण व वितरण, पर्यावरण संरक्षण तथा वनीकरण
No.-7. अन्य जानकारी 1959 के भारत-नेपाल समझौते के तहत इससे नेपाल को भी लाभ है।
No.-9. इस परियोजना के अन्तर्गत गंडक नदी पर त्रिबेनी नहर हेड रेगुलेटर के नीचे बिहार के बाल्मीकि नगर मे बैराज बनाया गया।
No.-10. गण्डक परियोजना भारत की नदी घाटी परियोजनाओं में से एक है।
No.-11. इसकी शुरुआत सन 1961 में हुई थी। यह बिहार और उत्तर प्रदेश की सम्मिलित परियोजना है तथा इससे नेपाल को भी लाभ मिलता है।
No.-12. इस परियोजना की निम्नलिखित इकाइयाँ हैं-
No.-13. वाल्मीकि नगर के निकट 740 मीटर लंबा एक बैराज़ बनाया गया है।
No.-14. पूर्वी मुख्य नहर या तिरहुत नहर के द्वारा बिहार के चंपारण, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, वैशाली, समस्तीपुर तथा नेपाल के परसावारा और राउतहाट ज़िलों की सिंचाई होती है।
No.-15. पूर्वी मुख्य नहर पर 15 मेगावाट विद्युत क्षमता की एक इकाई लगाई गयी है।
No.-16. पश्चिमी मुख्य नहर के दो भाग हैं-
Gandak Pariyojaa
पश्चिमी गंडक नहर
No.-1. इस नहर से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, देवरिया, भैरहवा, महाराजगंज और कुशीनगर ज़िले लाभान्वित होते हैं।
No.-2. सारण नहर – इस नहर से बिहार के कुछ ज़िलों की सिंचाई होती है।
No.-3. यह बिहार और उत्तर प्रदेश की संयुक्त नदी घाटी परियोजना है।
No.-4. 1959 के भारत-नेपाल समझौते के तहत इससे नेपाल को भी लाभ है।
No.-5. इस परियोजना के अन्तर्गत गंडक नदी पर त्रिबेनी नहर हेड रेगुलेटर के नीचे बिहार के बाल्मीकि नगर मे बैराज बनाया गया।
No.-6. इसी बैराज से चार नहरें निकलतीं हैं, जिसमें से दो नहरें भारत मे और दो नहर नेपाल में हैं। यहाँ १५ मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है और यहाँ से निकाली गयी नहरें चंपारण के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश के बड़े हिस्से की सिंचाई करतीं है।
No.-7. वाल्मीकि नगर का बैराज 1959-70 में बना। इसकी लम्बाई 747.37 मीटर और ऊँचाई 9.81 है।
No.-8. इस बैराज का आधा भाग नेपाल में है। 256.68 किमी पूर्वी नहर से बिहार के चम्पारन, मुजफ्फरपुर और दरभंगा जिलों के 6.68 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई होती है।
No.-9. इसी नहर से नेपाल के परसा, बारा , रौतहत जिलों के 42,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है।
No.-10. मुख्य पश्चिमी नहर से बिहार के सारन जिले की 4.84 लाख भूमि तथा उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, महराजगंज, देवरिया, कुशीनगर जिलों के 3.44 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है।
No.-11. इस नहर से नेपाल के भैरवा जिले की 16,600 हेक्तर भूमि की सिंचाई होती है।
No.-12. 14 वें किमी पर 15 मेगावाट क्षमता का एक जलविद्युत संयन्त्र बनाकर नेपाल सरकार को भेट किया गया है। यह नेपाल के तराई क्षेत्र की विद्युत आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।
No.-13. यह परियोजना बहुत पुरानी है। गंडक नहर परियोजना के लिए स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी एवं महराजगंज के तत्कालिन सांसद शिब्बन लाल सक्सेना ने अथक प्रयास एवं लंबा अनशन किया।
Gandk Pariyojana
No.-14. उन्होने 1957 में 11 प्रधानमन्त्री को 11 पत्र लिखे। उस समय नेपाल व बिहार तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिले बाढ़ व सूखा की त्रासदी झेल रहे थे।
No.-15. नहरों के न होने के कारण नेपाल के बी गैप नारायणी नदी पर गंडक परियोजना स्वीकृत कराने के लिए अनुरोध किया।
No.-16. पत्राचार के बाद भी जब कोई परिणाम नहीं निकला तो उन्होंने संसद भवन के सामने 1957 में आमरण अनशन शुरू कर दिया, जो 28 दिन तक चला।
No.-17. उस दौरान केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। उनके अनशन की गूंज से सरकार जागी।
No.-18. प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप के बाद गंडक परियोजना के लिए स्वीकृति मिल गई।
No.-19. इसके बाद प्रो. शिब्बन लाल ने सरकार को नहर के लिए किसानों से जमीन दिलवाने की भी पहल की।
No.-20. इसके लिए वे गांव-गांव गए, किसानों को तैयार किया और उचित मुआवजा दिलाकर जमीन हस्तान्तरित कराई।
No.-21. इससे परियोजना पर काम शुरू हो सका।
No.-22. इससे नेपाल, बिहार तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश में नहरों का जाल बिछा और सिंचाई की क्षमता 18800 क्यूसेक तक जा पहुंची।
No.-23. आज इसी परियोजना के कारण देवरिया, महराजगंज, कुशीनगर व पश्चिमी चंपारण के इलाकों के खेत लहलहा रहे हैं।
No.-24. इतिहास की एक सचाई यह भी है कि स्वीकृति मिलने के बावजूद परियोजना को मूर्त रूप देने में सबसे बड़े बाधक स्थानीय जमींदार बन गए थे।
No.-25. प्रो. लाल ने जमींदारों से भी मुकाबला किया और जमीन देने के लिए काफिले के साथ उनके गांवों का दौरा किया।
No.-26. जवाहर लाल नेहरू ने नेपाल के तत्कालीन राजा महेन्द्र विक्रम शाह से 1959 में समझौता किया।
No.-27. समझौते के तहत पश्चिमी मुख्य गंडक नहर और वाल्मीकि नगर बैराज का निर्माण नेपाल के भूक्षेत्र से होना था।
भौगोलिक और तकनीकी कारणों से नेपाल राष्ट्र की जमीन लेना गंडक नहर प्रणाली के निर्माण के लिये ज्यादा उचित साबित हुआ।
No.-28. इस जमीन के बदले गंडक नदी नदी के दायें तट पर नेपाल सीमा तक के भूभाग को बाढ़ और कटाव से बचाने की जिम्मेदारी भारत के समझौते में समावेशित है।
No.-29. इसके तहत ‘ए गैप’ बाँध की लम्बाई 2.5 कि.मी. तथा ‘बी गैप’ बाँध की लम्बाई 7.23 कि.मी है।
No.-30. नेपाल बाँध की लम्बाई 12 कि.मी और लिंक बाँध की लम्बाई 2.5 कि.मी है जिसका निर्माण उत्तर प्रदेश सिंचाई और जल संसाधन विभाग खंड-2 महाराजगंज ने कराया है।
No.-31. इस नहर की शीर्ष प्रवाह क्षमता 18800 क्यूसेक है। मुख्य नहर से बिहार प्रदेश भी 2500 क्यूसेक पानी लेता है।
महत्वपर्ण तथ्य
No.-1. डीवीसी भारत सरकार द्वारा शुरू की जानेवाली प्रथम बहूद्देशीय नदी घाटी परियोजना।
No.-2. कोयला, जल तथा तरल ईंधन तीनों स्त्रोतों से विद्युत उत्पादन करनेवाला भारत सरकार का प्रथम संगठन।
No.-3. मैथन में भारत का प्रथम भूमिगत पनविद्युत केन्द्र।
No.-4. विगत शताब्दी के पचावें दशक में बोकारो ंकएंक ताविके राष्ट्र का बृहत् तापीय विद्युत सयंत्र।
No.-5. बीटीपीएस ंकएंक बॉयलर ईंधन फर्नेंस में अनटैप्ड निम्न स्तर कोयला जलाने में प्रथम।
No.-6. चंद्रपुरा ताविके में उच्च ताप प्राचलों का प्रयोग करते हुए भारत की प्रथम री-हिट इकाइयाँ।
No.-7. मेजिया इकाई जीरो कोल रिजेक्ट हेतु सेवा में ट्यूब मिलों सहित पूर्वी भारत में अपने प्रकार की प्रथम।