Dwivedi  yugeen aalochna

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आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी हिन्दी आलोचना के प्रथम आधार स्तम्भ है। उन्होंने हिन्दी आलोचना को परम्परा से हटकर एक नवीन सांस्कृतिक भूमि पर प्रतिष्ठित किया। जिसका सूत्रपात भारतेन्दु-युग में श्री बालकृष्ण भट्ट ने किया था। उनका एक महत्त्वपूर्ण निबन्ध सन् १९२० में ‘कविता और भविष्य’ निकला। जिसमें धूल भरे किसान और मैल मजदूर की हिमायत करते हैं।

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द्विवेदी युगीन प्रमुख आलोचक और आलोचना ग्रंथों की सूची-

No.-1. आलोचक             आलोचनात्मक ग्रंथ

No.-2. लाला भगवानदीन ‘दीन’               अलंकार मंजूषा, बिहारी और देव,

No.-3. दोहावली, कवितावली, छत्रसाल दशक, रामचन्द्रिका, केशव कौमिदी, मानस’ आदि पर टीका, ठाकुर-ठसक (सं.)

No.-4. कृष्ण बिहारी मिश्र              देव और बिहारी

No.-5. मिश्रबंधु                हिंदी नवरत्न

No.-6. शुकदेव बिहारी मिश्र          साहित्य परिजात

No.-7. पद्मसिंह शर्मा       बिहारी सतसई की टीका

No.-8. जगन्नाथ दास ‘रत्नाकर’             बिहारी रत्नाकर

No.-9. समालोचनादर्श (पोप के ‘ऐस्से आन क्रिटिसिज्म’ का अनुवाद)

No.-10. जगन्नाथप्रसाद भानु      काव्य प्रभाकर

No.-11. सेठ गोविन्ददास              नाट्यकला मीमांसा

No.-12. श्यामसुंदर दास-              साहित्यालोचन, रूपक रहस्य

No.-13. भाषा रहस्य, भाषा विज्ञान, हिंदी भाषा का विकास, हिंदी भाषा और साहित्य

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No.-14. हिंदी गद्य के निर्माता (2 भागों में)

No.-15. महावीर प्रसाद द्विवेदी  रसज्ञ रंजन,  कालिदास की निरंकुशता,  कालिदास और उनकी कविता, सुकवि संकीर्तन, साहित्य संदर्भ,  साहित्य सीकर, आलोचनांजलि, समालोचना-समुच्चय, हिंदी भाषा की उत्पत्ति,

No.-16. साहित्य विचार

No.-17. ब्रजरत्नदास     भारतेंदु मंडल

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