Bhartendu yugeen aalochna |Bhartndu yugeen aalochna |Bhartend yugeen aalochna |Bhrtendu yugeen aalochna |Bhartend yugeen aalochna |Bhartendu yugen aalochna |Bhartendu yugeen alochna |Bhartedu yugeen aalochna |
भारतेन्दु युग का साहित्य जनवादी इस अर्थ में हैं कि वह भारतीय समाज के पुराने ढांचे से सन्तुष्ट न रहकर उसमें सुधार भी चाहता है। वह केवल राजनीतिक स्वाधीनता का साहित्य न होकर मनुष्य की एकता, समानता और भाईचारे का भी साहित्य हैं। जीवन को समझने-बूझने और दिखने की भारतेन्दु की निश्चित दृष्टि है, साहित्य को वे वृहत्तर जीवन की संगती में देखते हैं, उसमें अलग या बाहर नहीं|
Bhartendu yugeen aalochna
भरतेंदु युगीन आलोचक और आलोचना ग्रंथ सूची-
आलोचक आलोचनात्मक ग्रंथ
No.-1. भारतेंदु नाटक
No.-2. जगन्नाथप्रसाद छंद प्रभाकर
No.-3. प्रताप नारायण सिंह रस कुसुमाकर
No.-4. शिवसिंह सेंगर शिवसिंह सरोज
No.-5. लल्लूलाल लाल चंद्रिका (बिहारी सतसई पर)
No.-6. अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ रसकलस
No.-7. बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ ‘संयोगिता स्वयंवर’ की समीक्षा
No.-8. बालकृष्ण भट्ट सच्ची समालोचना