Bharat Me Urja Sansadhan pdf - भारत में ऊर्जा संसाधन        

Bharat Me Urja Sansadhan pdf – भारत में ऊर्जा संसाधन        

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देश की अर्थव्यवस्था को विकसित एवं सुदृढ़ बनाने के लिए वर्तमान में उस देश का औद्योगिक विकास आवश्यक है और औद्योगिक विकास बिना ऊर्जा अथवा शक्ति के साधनों के सम्भव नहीं हो सकते। कृषि, परिवहन, कारखाने एवं देश की रक्षा आदि के क्षेत्र में ऊर्जा के संसाधनों का अत्यधिक महत्त्व है। विभिन्न क्षेत्रों में ऊर्जा संसाधनों के महत्त्व को निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-

Bharat Me Urja Sansadhan pdf – भारत में ऊर्जा संसाधन        

 

No.-1. ब्रिटेन में हुई औद्योगिक क्रान्ति के आधार कोयले को उद्योगों की जननी, काला सोना और शक्ति का प्रतीक कहा जाता है।

No.-2. देश में आज भी कोयला शक्ति का सबसे महत्त्वपूर्ण साधन है।

No.-3. वर्तमान कोयला खनन उद्योग का विकास 1774 में आरम्भ हुआ, जब अंग्रेजों द्वारा रानीगंज में कोयले का पता लगाया गया।

No.-4. भारत विश्व में कोयला उत्पादन की दृष्टि से चीन व अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर है।

No.-5. भारत विश्व का 4.7 प्रतिशत कोयला उत्पादित करता है।

No.-6. भारत की ऊर्जा का लगभग 60.0 प्रतिशत भाग कोयले से प्राप्त होता है।

No.-7. कार्बन की मात्रा के आधार पर विश्व स्तर पर कोयले को चार प्रकारों में विभाजित किया जाता है।

(1) एन्थ्रेसाइट : कार्बन की मात्रा 80 से 90 प्रतिशत तक।

(2) बिटुमिनस : कार्बन की मात्रा 75 से 80 प्रतिशत तक ।

(3) लिग्नाइट : कार्बन की मात्रा 50 प्रतिशत तक।

(4) पीट : कार्बन की मात्रा 50 प्रतिशत से कम।

No.-8. भारत में उपलब्ध कोयला दो भू-वैज्ञानिक काल खण्डों (अ) गौंडवाना युगीन, (ब) टर्शयरी काल से सम्बन्धित है।

 (अ) गौंडवाना युगीन

No.-1. उत्पादन व उपभोग की दृष्टि से गौंडवाना युगीन कोयले का सर्वाधिक महत्त्व है।

No.-2. भारत वर्ष में इस प्रकार का कोयला विभिन्न नदियों की घाटियों में पाया जाता है।

गोदावरी घाटी क्षेत्र

No.-1. आन्ध्र प्रदेश राज्य में विस्तृत गोदावरी नदी की घाटी में देश के लगभग 7.5 प्रतिशत कोयले के भण्डार हैं ।

No.-2. आदिलाबाद, करीमनगर, खम्माम, वारंगल और पश्चिमी गोदावरी मुख्य उत्पादक जिले हैं।

No.-3. गोदावरी और तन्दूर नदियों के बीच के 250 वर्ग किमी क्षेत्र में प्रसिद्ध कोयला क्षेत्र फैला हुआ है।

No.-4. राज्य में सिंगरेनी कोयले का बड़ा उत्पादक क्षेत्र है।

No.-5. यहाँ बाराकर श्रेणी की चट्टानें 54 वर्ग किमी में फैली हुई है।

No.-6. यहाँ कोयले की परतें दो मीटर से भी अधिक मोटी है।

No.-7. आन्ध्र प्रदेश का वार्षिक कोयला उत्पादन 332 लाख टन है।

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महानदी घाटी क्षेत्र

No.-1. उड़ीसा राज्य में देश के लगभग 25 प्रतिशत कोयले के भण्डार मिलते हैं।

No.-2. कुल उत्पादन का 15.3 प्रतिशत भाग यहाँ से प्राप्त होता है।

No.-3. राज्य में ढेंकनाल जिले में तालचर कोयला क्षेत्र 548 वर्ग किमी में फैला है।

No.-4. यहाँ का कोयला विद्युत उत्पादन, उर्वरक तथा गैस उत्पादन में प्रयुक्त होता है।

No.-5. उड़ीसा प्रतिवर्ष 523 लाख टन कोयले का उत्पादन करता है।

टर्शयरी काल

No.-1. भारत का 2 प्रतिशत कोयला टर्शयरी काल की एवं मेसोजाइक काल की चट्टानों में प्राप्त होता है।

No.-2. इस प्रकार के कोयले के 225 करोड़ टन के भण्डार आंकलित किये गये हैं।

No.-3. इन श्रेणी के कोयले के प्राप्ति के मुख्य क्षेत्रों में असम, मेघालय, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडू, राजस्थान, अरूणाचल प्रदेश और पश्चिमी बंगाल राज्य है।

No.-4. पश्चिमी बंगाल में पनकाबाड़ी प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र  है, यहाँ का कोयला बनावट में गौंडवाना युगीन कोयले से मिलता है।

No.-5. अरूणाचल प्रदेश में डफाला पहाड़ियों में डीगरॉक प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र है।

No.-6. असम राज्य में लखीमपुर, शिवसागर जिलों में माकूम क्षेत्र 80 किमी लम्बाई में फैला है ।

No.-7. यहाँ का कोयला गैस बनाने के लिये अधिक उपयोगी है।

No.-8. मेघालय राज्य में गारोखाासी जयन्तियां पहाड़ियों में टर्शयरी काल के कोयले के भण्डार है।

Bharat Me Urja Sansadhan- भारत में ऊर्जा संसाधन

लिगनाइट कोयला

No.-1. हालांकि कार्बन की मात्रा के अनुसार लिगनाइट कोयला घटिया माना जाता है परन्तु ताप विद्युत की दृष्टि से यह कोयला भी महत्त्वपूर्ण है।

No.-2. इस प्रकार के कोयले के भण्डार तमिलनाडु में तिरूवनालोर व वेल्लोर जिले में फैला नवेली लिगनाइट कोयला भण्डार प्रसिद्ध है।

No.-3. जहाँ 330 करोड़ टन लिगनाइट कोयले के भण्डार है।

No.-4. यहाँ पर 1956 से नवेली लिगनाइट लिमिटेड द्वारा कोयला खनन किया जा रहा है।

No.-5. राजस्थान के बीकानेर जिले में पलाना नामक स्थान पर लिगनाइट किस्म का कोयला मिलता है।

No.-6. बाड़मेर जिले में भी वर्ष 2003 में लिगनाइट के भण्डारों का पता लगा है।

No.-7. यहाँ पर बीकानेर में स्थित तापीय विद्युत गृह में इस कोयले का प्रयोग किया जाता है।

व्यापार

No.-1. घरेलू माँग की पूर्ति के बाद भारत द्वारा कोयले का निर्यात अपने पड़ोसी देशों बाँग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यानमार एवं श्रीलंका को किया जाता है।

No.-2. वर्ष 2010 में 521 करोड़ रूपये के कोयले का निर्यात किया गया।

No.-3. भारत में उच्च कोटि का कोकिंग कोयला आस्ट्रेलिया, कनाड़ा व अन्य यूरोपीय देशों से आयात किया जाता है।

No.-4. वर्ष 2012- 13 में 83,998.35 करोड़ रूपये के कोयले का आयात किया गया है।

पेट्रोलियम

No.-1. भारत में लगभग 30 लाख वर्ष पुरानी अवसादी चट्टानों में इसके भण्डार उपलब्ध है।

No.-2. एक अनुमान के अनुसार भारत में विश्व का कुल संचित तेल का 0.5 प्रतिशत खनिज तेल उपलब्ध है।

No.-3. भारत में तेल की प्राप्ति अकस्मात हुई है। जब 1860 में असम रेलवे कम्पनी ने रेलवे लाइन बिछाने के लिए मार्गरिटा क्षेत्र में खुदाई की जा रही थी।

No.-4. विधिवत रूप से तेल के कुँओं की खुदाई आसाम राज्य में ही 1866 में माकूम नामक स्थान पर 36 मीटर की गहराई पर तेल प्राप्त किया गया है।

No.-5. 1890 में डिगबोई में 202 मीटर की गहराई पर तेल प्राप्त हुआ।

No.-6. 1899 में असम ऑयल कम्पनी का गठन किया गया।

No.-7. 1915 में बर्मा ऑयल कम्पनी ने सिलचर के निकट सूरमा घाटी में तेल खनन का कार्य प्रारम्भ किया।

No.-8. 1938 में नाहरकटिया क्षेत्र में तेल की खोज हुई।

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No.-9. 1956 में शिवसागर जिले में तेल उपलब्ध हुआ।

No.-10. 1959 में बर्मा ऑयल कम्पनी और भारत सरकार के सांझे में ऑयल इण्डिया लिमिटेड की स्थापना हुई।

No.-11. तेल एवं प्राकृति गैस आयोग (ONGC) : 1953 से भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग ने देश के विभिन्न हिस्सों में प्राकृतिक तेल की खोज का कार्य प्रारम्भ किया।

No.-12. 1956 में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग का गठन किया गया।

No.-13. यह आयोग समुद्र के भीतर एवं स्थल भागों पर खनिज तेल की खोज का कार्य करता है।

No.-14. भारत पेट्रोलियम कारोशन : जनवरी 1976 से भारत सरकार ने बर्मा शैल रिफाइनरी और बर्मा शैल ऑयल कम्पनी पर अधिकार करके भारत पेट्रोलियम कारोशन बनाया गया।

No.-15. ऑयल इण्डिया लिमिटेड : खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस की खोज, खुदाई और उत्पादन करके उन्हें तेल शोधन कारखानों और उपभोक्ताओं तक पहुँचाने का कार्य ऑयल इण्डिया लिमिटेड करता है।

उत्पादन एवं व्यापार

No.-1. वर्तमान में देश के निम्नलिखित क्षेत्रों में खनिज तेल का खनन किया जा रहा है।

आसाम

No.-1. राज्य में डिगबोई, सुरमा घाटी और नवीन क्षेत्रों में खनिज तेल के भण्डार उपलब्ध है।

No.-2. लखीमपुर जिले में डिगबोई, बधापुंग, हंसापुंग स्थानों पर खनिज तेल की प्राप्ति 2000 मीटर की गहराई पर होती है।

No.-3. यहाँ पर डिगबोई में तेल शोधन कारखाना स्थापित है।

No.-4. जो वर्ष में लगभग 4.0 मैट्रिक टन तेल का शोधन करता है।

No.-5. आसाम के सुरमा घाटी क्षेत्र में बदरपुर, मशीनपुर और पथरिया स्थानों पर 1971 से तेल का खनन किया जा रहा है।

No.-6. ब्रह्मपुत्र घाटी के नवीन तेल क्षेत्रों में नहरकटिया, हुगरीजन और मोरन स्थानों पर 1953 से उत्पादन प्रारम्भ हुआ।

No.-7. प्रति वर्ष लगभग 25 लाख मैट्रिक टन खनिज तेल प्राप्त किया जा रहा है।

No.-8. यहाँ पर रूद्र सागर, लकवा, गालेकी, अमगरी में तेल का खनन किया जाता है।

No.-9. इन क्षेत्रों का तेल नूनमती व बरौनी की तेल शोधन शालाओं में शुद्ध किया जाता है।

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