Bharat ki fasle in Hindi part 2

Bharat ki fasle in Hindi part 2

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भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की अहम भूमिका है। कृषि हमारे देश की रीढ़ है। इसमें फसलों की खेती, पशुपालन, मछलीपालन, कृषि-वानिकी आदि शामिल हैं। लगभग 60% भारतीय जनसंख्या मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है। मत्स्य पालन, वानिकी और अन्य संबद्ध क्षेत्रों के साथ कृषि हमारे देश की कुल जीडीपी में लगभग 15.87% योगदान करती है। विशेष रूप से मौसम और मिट्टी की स्थिति भारत में फसल के लिए विशिष्ट रूप से अनुकूल है।

Bharat ki fasle in Hindi part 2

उद्यान कृषि

No.-1. व्यापारिक कृषि में उद्यान कृषि एक ऐसी सघन कृषि है, जिसमें बहुत उच्च स्तर का विशेषीकरण होता है, और जो अधिकतर छोटे पैमाने पर की जाती है।

No.-2. डेरी उद्योग के समान, उद्यान कृषि भी संसार के नगरीय बाजारों के द्वारा शाक-सब्जियों और फलों की माँग के कारण विकसित हुई है।

No.-3. इसमें भूमि के छोटे से क्षेत्रफल में ही भोजन की बहुत बड़ी मात्रा उत्पन्न कर ली जाती है।

No.-4. भारत में प्रमुख बागवानी फसलें : 2013-14 के अनुसार – भारत में सबसे अधिक फलों का उत्पादन तमिलनाडू, मसाले उत्पादन में गुजरात प्रथम, फलों के उत्पादन में महाराष्ट्र, सब्जियों के उत्पादन में पश्चिम बंगाल तथा आलू के उत्पादन में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान रखता है।

No.-5. वर्ष 2004-05 से 2014-15 के बीच बागवानी फसलों की उत्पादकता में लगभग 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

No.-6. 2004-05 में बागवानी फसलों का उत्पादन 167 मिलियन टन था जो 2014-15 में बढ़कर 283 मिलिटन टन हो गया।

No.-7. रासायनिक कृषि के दुष्परिणामों की जानकारी प्राप्त हुई है तब से वह अपने स्वास्थ्य तथा पर्यावरण संरक्षण के सन्दर्भ में जागरूकता आयी और विश्व पुनः जैविक कृषि अर्थात परम्परागत कृषि की और लौटने लगा।

No.-8. आज विश्व में लगभग 3.7 करोड़ हेक्टयर भूमि पर जैविक कृषि की जा रही है जो विश्व की कुल कृषि भूमि का 0.9 प्रतिशत है।

भारत में जैविक कृषि

No.-1. भारत में लगभग 7.23 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल पर जैविक खेती की जा रही है।

No.-2. महाराष्ट्र, मेघालय, मिजोरम, पंजाब, उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, झारखण्ड, बिहार, राजस्थान आदि के किसान जैविक खेती अपनाने में आगे आ रहे हैं।

No.-3. सिक्किम देश का पहला पूर्ण जैविक खेती करने वाला राज्य : 18 जनवरी, 2016 को गंगटोंक (सिक्कीम) में आयोजित ‘टिकाऊ कृषि सम्मेलन’ में सिक्किम को पूर्णतया जैविक खेती करने वाला देश का पहला राज्य घोषित किया।

No.-4. सिक्किम में जैविक कृषि की खेती वर्ष 2003 में शुरू की गई थी।

No.-5. पर्यावरण सुरक्षा के लिए सिक्किम में रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग को पूर्णतः निषिद्ध कर दिया गया है।

No.-6. सिक्किम ने अपनी लगभग 75000 हेक्टेयर भूमि को टिकाऊ कृषि के लिए जैविक भूमि में परिवर्तित कर दिया है। इन्हीं सब उपाय के कारण सिक्किम देश का सबसे स्वच्छ राज्य के रूप में भी 2016 के अन्तर्गत चुना गया है।

कृषि फसलें

No.-1. भारत की फसलों को जलवायु के अनुसार तीन भागों में विभाजित किया गया है।

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खरीफ

No.-1. ये फसलें मानसून आगमन से पूर्व जून- जुलाई से सितम्बर-अक्टूबर के मध्य वर्षा काल में उत्पादित फसलों को खरीफ के नाम से पहचाना जाता है।

No.-1. चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का, कपास, जूट, मूंगफली, तिल, गन्ना, उड़द, मूंग, मोठ आदि फसलें सम्मिलित की जाती है।

 रबी

No.-1. शीतकाल में अक्टूबर-नवम्बर से लेकर मार्च- अप्रेल के मध्य होने वाली फसलों को रबी की फसल कहते हैं जिनमें सिंचाई की आवश्यकता रहती है।

No.-2. गेहूँ, जौ, चना, सरसों, मटर, अरहर, मसूद आदि।

जायद

No.-1. रबी व खरीफ के अतिरिक्त मध्यवर्ती समय में बोई जाने वाली फसल जिसमें सब्जियाँ, ककड़ी, तरबूज, खरबूजा, चरी (ज्वार) आदि फसलें।

उपयोग के आधार पर विभाजन

1)  खाघान्न फसलें : चावल, गेहूँ, बाजरा, ज्वार, मक्का, दालें ।

2) बागानी फसलें : चाय, कहवा, तम्बाकू

3) नगदी फसलें : गन्ना, तिलहन, सोयाबीन, राई, सरसों

4) रेशेदार : कपास एवं जूट

मुख्य कृषि फसलों का वर्णन इस प्रकार है –

गेहूँ

No.-1. इसके लिए समशीतोष्ण सर्वोत्तम जलवायु है।

No.-2. मोहनजोदड़ो की खुदाई में जो गेहूँ दाने मिले हैं इससे इतिहासकारों का मत है कि भारत ही गेहूँ का सम्भवतः आदि स्थान रहा है।

No.-3. भारत की यह दूसरी वृहत खाद्य फसल है जो उगाई व भोजन में काम आती है।

No.-4. विश्व उत्पादन का 11.7 प्रतिशत भारत से प्राप्त होता है।

No.-5. खाद्यान्न उत्पादन में लगी कुल भूमि का 23 प्रतिशत भाग पर गेहूँ उगाया जाता है।

No.-6. गेहूँ शीतोष्ण कटिबन्धीय उपज है जिसका उत्पादन भारत में अक्टूबर-नवम्बर से मार्च के मध्य किया जाता है।

No.-7. बोते समय 10 प्रतिशत बढ़ते समय 15°C तथा पकते व काटते समय 20°C से 28°C तापमान की आवश्यकता रहती है साथ ही 100 दिन पाला रहित होना आवश्यक है।

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No.-8. गेहूँ के लिए आदर्श वर्षा 50 से 75 सेमी. है लेकिन कम होने पर सिंचाई की आवश्यकता होती है।

No.-9. मावट इसके लिए श्रेष्ठ होती है।

No.-10. गेहूँ के लिए हल्की, दोमट, बलुई, काली मिट्टी उपयुक्त रहती है।

No.-11. समतल धरातल होना चाहिए, जहाँ कृषि यंत्रों का उपयोग आसानी से किया जा सके और जल निकास हो सके।

No.-12. उत्पादन बढ़ाने के लिए कम्पोस्ट, जैविक, गोबर के साथ रासायनिक उर्वरकों का उपयोग भी तेजी से बढ़ा है।

No.-13. भारत में गेहूँ उत्पादन की दृष्टि से सतलज, यमुना एवं ऊपरी गंगा का मैदानी भाग सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है ।

No.-14. पर्याप्त जल, उपजाऊ एवं समतल भूमि के कारण यह क्षेत्र देश का 68 प्रतिशत गेहूँ का उत्पादन करता है।

No.-15. 1970-71 में औसत ऊपज 1307 किग्रा. थी वहीं 2013-14 में भारतीय औसत 3145 किग्रा प्रति हेक्टेयर था।

No.-16. सन् 2014-15 में देश के 31 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर गेहूँ बाया गया जिसका उत्पादन 88.9 लाख मिलियन टन रहा, साथ ही प्रति हेक्टेयर उत्पादन 2872 किग्रा रहा।

प्रमुख उत्पादक राज्य

उत्तर प्रदेश 

No.-1. यह भारत का आदर्श गेहूँ उत्पादक राज्य है।

No.-2. यहाँ केवल उत्तरी पर्वतीय एवं दक्षिणी पठारी क्षेत्रों को छोड़कर सर्वत्र गेहूँ की कृषि की जाती है।

No.-3. राज्य में गंगा-यमुना, गंगा-घाघरा दोआब गेहूँ की कृषि के लिए विशेष रूप से जाना जाता है।

No.-4. जहाँ राज्य का 75 प्रतिशत गेहूँ पैदा होता है।

No.-5. उत्तर प्रदेश में वर्ष 2014-15 में 25.2 मिलियन टन गेहूँ का रिकार्ड उत्पादन हुआ जो देश का 28.4 प्रतिशत है।

पंजाब

No.-1. हरित क्रान्ति के प्रभाव से पंजाब में गेहूँ की उपज में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

No.-2. यहाँ कुल कृषि भूमि के 30 प्रतिशत भाग पर गेहूँ की कृषि की जाती है।

No.-3. 2014-15 में राज्य 15.8 मिलियन टन का उत्पादन हुआ जो देश के गेहूँ उत्पादन का 17.7 प्रतिशत उत्पादन कर दूसरा सबसे बड़ा उत्पादन राज्य है।

No.-4. मुख्य उत्पादक जिले- लुधियाना, जालन्धर, अमृतसर, कपूरथला, फिरोजपुर, भटिण्डा, पटियाला तथा संगरूर है।

Bhrat ki fasle in Hindi part 2

हरियाणा

No.-1. क्षेत्रफल की दृष्टि से छोटा लेकिन सिंचाई सुविधाओं के कारण 13.5 प्रतिशत गेहूँ उत्पादन कर बड़ा उत्पादक राज्य बन गया है।

No.-2. यहाँ रोहतक, हिसार, जिंद, कुरूक्षेत्र, सिरसा, फतेहाबाद, अम्बाला, गुड़गाँव, फरीदाबाद जिलों में देश का 8 प्रतिशत गेहूँ उत्पादन क्षेत्र स्थित है।

मध्यप्रदेश

No.-1. मैदानी भागों और मालवा की काली मिट्टी क्षेत्रों में सिंचाई द्वारा गेहूँ उत्पादन किया जाता है।

No.-2. वर्ष 2014-15 में राज्य में 14.2 मिलियन टन गेहूँ का उत्पादन हुआ जो देश का 15.9 प्रतिशत था।

No.-3. मध्य प्रदेश देश का तीसरा बड़ा उत्पादन राज्य है। प्रमुख उत्पादक जिले गुना भिण्ड, ग्वालीयर, उज्जैन, सागर, इन्दौर, जबलपुर आदि। पिछले कुछ वर्षों से गेहूँ उत्पादन में वृद्धि हुई है। जिले हैं।

No.-4. अन्य गेहूँ उत्पादक राज्य : पश्चिम बंगाल (मुर्शिदाबाद, नादिया, वीरभूमि, दीनाजपुर), हिमाचल प्रदेश (कांगड़ा मण्डी, शिमला), कर्नाटक (बिजापुर, धारवाड़, बेलगाम), महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु तथा आन्ध्र प्रदेश।

 चावल

No.-1. चावल भारत के प्रमुख खाद्यान्नों में से एक है।

No.-2. यह देश के तीन चौथाई मनुष्यों का भोज्य पदार्थ है।

No.-3. विश्व उत्पादन का लगभग 19 प्रतिशत चावल भारत से प्राप्त होता है।

No.-4. वर्ष 2014-15 में देश में खाद्यान्नों के अन्तर्गत क्षेत्र का 35.9 प्रतिशत भाग पर चावल बोया गया है।

No.-5. रूसी विद्धान वेविलोव के अनुसार चावल का मूल स्थान भारत है, जहाँ से इसका प्रसार पूर्व की और चीन तक 3000 ई.पू. तक होचुका था।

No.-6. मोहनजोदड़ो एवं हड़प्पा व समकालिक सभ्यताओं में भी चावल के अवशेष मिले हैं।

No.-7. वैदिक काल में चावल धार्मिक, सांस्कृतिक कार्यों में उपयोग लिया जाता है।

No.-8. चावल उष्णकटिबन्धीय पौधा है।

No.-9. यह 19°C से कम तापमान में पैदा नहीं हो सकता ।

No.-10. बोते समय 20°C तापमान, पकने के समय 27°C की आवश्यकता होती है।

No.-11. खेतों में 75 दिनों तक पानी भरा रहना चाहिए।

No.-12. 100 सेमी से 200 सेमी वार्षिक वर्षा आवश्यक है।

No.-13. चावल कृषि हेतु जलोढ़ चिकनी मिट्टी सर्वोत्तम है जो नदियों के डेल्टाई क्षेत्रों में तथा तटवर्ती भागों में मिलती है।

No.-14. चावल की खेती के लिए हरी एवं गोबर खाद, हड्डियों की खाद, अमोनियम सल्फेट व नाइट्रेट खाद की आवश्यकता होती है।

 

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