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सातवीं शताब्दी में एक नए धर्म इस्लाम ने अरबों में जन्म लिया । इस्लाम ने थोड़े समय में न केवल प्रतिद्वंदी कबीलों के बीच एकता कायम की बल्कि उसके परिणामस्वरूप एक बड़े साम्राज्य की स्थापना हुई और एक नई सभ्यता का उदय हुआ जो अपने समय की सबसे उत्कृष्ट सभ्यता थी ।
Arab Sabhyata in Hindi
अरबों की देन –
शिक्षा
No.-1. पैगंबर की एक निर्देश के अनुसार “प्रत्येक मुसलमान का यह कर्तव्य है कि वह ज्ञान की खोज करें ” । अरबों ने समस्त ज्ञान को अपना लिया और उसे विकसित किया ।
चिकित्सा
No.-1. अरबों ने अनेक महान चिकित्सक पैदा किए । अल- राजी नामक अरब वैज्ञानिक ने चेचक का ठीक-ठीक निदान किया । अल-राजी को यूरोप में रहैज़ेस के नाम से जाना जाता था ।
No.-2. इब्न-सिना जो मध्यकालीन यूरोप में एविसेन्ना के नाम से मशहूर था , ने पता लगाया कि तपेदिक छूत का रोग है । इब्न-सिना ने तंत्रिका तंत्र संबंधी अनेक रोगों का वर्णन किया ।
No.-3. अरबों ने प्लेग, आंख के रोगों, छूत की बीमारियों के फैलने आदि के विषय में जानकारी प्राप्त करने और अस्पतालों के संगठन में बड़ी प्रगति की ।
अंक एवं गणित
No.-1. गणित के क्षेत्र में अरबों ने भारतीय अंक प्रणाली सीखी और उसे दूर दूर तक फैलाया । इसी कारण यह अंक अब भी पश्चिमी देशों में ‘अरबी अंक‘ कहलाते हैं ।
No.-2. अरबों ने बीज गणित, त्रिकोण मिति और रसायन शास्त्र का भी विकास किया ।
No.-3. उमर खय्याम ने एक पंचांग बनाया, जो ईसाइयों के उस पंचांग से अधिक शुद्ध है जो आजकल संसार के अनेक देशों में प्रयुक्त किया जाता है ।
No.-4. अरब ज्योतिषियों का अनुमान था कि पृथ्वी सम्भवत: अपनी धुरी पर घूमती है और सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है ।
No.-5. अरब निवासियों ने रसायन शास्त्र में अन्य प्रयोग किए । इनसे अनेक नए मिश्रणों का , जैसे सोडियम कार्बोनेट, सिल्वर नाइट्रेट और शोरे तथा गंधक के तेजाबों का पता किया ।
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दर्शन और जीवन
No.-1. दर्शनशास्त्र में भी अरबों की उपलब्धियां महत्वपूर्ण थी । यूनान का ज्ञान और बौद्धिक परंपराएं सीरिया और फारस के जरिए अरबों को मिली ।
No.-2. इब्न-सिना को यूरोप में एक दार्शनिक के रूप में जाना जाता था । अबू अल-वलीद मुहम्मद इब्न-रूश्त , जिन्हें यूरोप वासी ऐवरोंज के नाम से जानते थे ।
No.-3. मध्यकालीन इस्लामी साहित्य को मुख्य प्रेरणा ईरान (फारस) से मिली । इस काल की कुछ प्रसिद्ध रचनाएं हैं – उमर खय्याम की “रूबाइयां” , फिरदौसी का “शहनामा” और 1001 कहानियों का संग्रह है “अलिफलैला” जिसकी कहानियों के तत्कालीन संस्कृति और समाज के विषय में काफी जानकारी मिलती है ।
अरबी कला
No.-1. अभी कला पर बाइजेंटाइन और ईरान की कला का प्रभाव पड़ा , किंतु अरब निवासियों ने अलंकरण के मौलिक नमूने निकाल लिए ।
No.-2. उनके भवनों पर बल्बों- गुंबद, छोटी मीनारें , घोड़ों के खुरों के आकार के मेहराब और मरोड़दार स्तंभ होते थे ।
अरब वास्तुकला की विशेषताएं तत्कालीन मस्जिदों, पुस्तकालयों, महलों, चिकित्सालयों और विद्यालयों में देखी जा सकती है ।
No.-3. अरबों ने लिखने की एक अलंकृत शैली का भी आविष्कार किया जिसे खुशखती कहते हैं । इससे उन्होंने पुस्तक सजाने के कार्य को भी कला के रूप में विकसित किया ।